जब चली पुरवाई हवा हौले से आँचल तेरा उड़ा बनके बूँद मुझ पर तुम बरस गई ये अंबर भी फिर गेरूआ हुआ रूह से रूह फिर जुड़ गई इश्क की खु़शबू से महकने लगी हवा वो टूटकर फिर ऐसे सँवर गई जैसे कुबूल हुई कोई पुरानी दुआ लफ्ज़ भी कम पड़ गए जब ज़िक्र महफ़िल में तेरा हुआ वो हौलै से क्या मुस्कुरा दिए नशा रात का और भी गहरा हुआ... © abhishek trehan #पुरवाई #हवा #इश्क़ #romantic #poetry #shyari #manawoawaratha #moansandmoons