ख़ामोशी गहराई कितनी, तन्हा है तन्हाई कितनी। रात के सूनेपन में मुझको, याद तुम्हारी आई कितनी। दिल की दीवारों से तेरी, तस्वीरें मिटवाई कितनी। जिन आँखों में बसता है तू, उनमें नींद समाई कितनी। ग़ौर किया मेरी बातों पर? बात समझ में आई कितनी। आज तुझे जो छू कर आई, महकी ये पुरवाई कितनी। 'प्रीत'तुम्हारे अंजुमन में, बरसी आज रुबाई कितनी। ©प्रतिष्ठा "प्रीत" #nojotohindipoetry #MyThoughts #merealfaaz #MereKhayaal