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नकारें भी तो नकारें कैसे, तुझे हम आखिर। जो हर दिन

नकारें भी तो नकारें कैसे, तुझे हम आखिर।
जो हर दिन हमारे, दया के मोहताज तुम्हारे।।

होंगे झूठे ढोंग भरे ये धर्म सभी,
और होंगी झूठी सारी किताबें तुम्हारे गुणगानों की।
मगर हम अपनी इस जान को क्या बतलाएं,
जो इशारों पे है सरताज तुम्हारे।।

लाख कोशिशें नाकाम हो जातीं,
और मिलने वाली चीजें मिल कर आम हो जातीं।
सुबह शाम बस कशिश यही,
जाने कल क्या हों हमारे लिए आगाज तुम्हारे।।

कोई नहीं समझा सका है तुमको
क्या हो कैसे हो और क्युं हो, कोई न हक़ीक़त बता सका तुम्हारी।
सब मनगढ़ंत कहानियां ही गाते,
जाने क्या हैं सच्चे साज तुम्हारे।।

देखे हमने ढहते मंदिर, मस्जिद भी तुफानों में।
बची हुई कुछ जानें देखी, गिरे हुए मकानों में।।

तेरी माया एक नज़र की, पाखंड भरी इस दुनिया में।
तू ही सच्चा तू ही धर्म, और अगर हैं तो बस राज़ तुम्हारे।।

©Hem Raj Yadav
  हे ईश्वर....

नकारें भी तो नकारें कैसे, तुझे हम आखिर।
जो हर दिन हमारे, दया के मोहताज तुम्हारे।।

होंगे झूठे ढोंग भरे ये धर्म सभी,
और होंगी झूठी सारी किताबें तुम्हारे गुणगानों की।
मगर हम अपनी इस जान को क्या बतलाएं,

हे ईश्वर.... नकारें भी तो नकारें कैसे, तुझे हम आखिर। जो हर दिन हमारे, दया के मोहताज तुम्हारे।। होंगे झूठे ढोंग भरे ये धर्म सभी, और होंगी झूठी सारी किताबें तुम्हारे गुणगानों की। मगर हम अपनी इस जान को क्या बतलाएं, #God #Reality #Earthquake #world #कविता #relegion #hryadav #hem_humnava

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