छोड़कर तुम मुझे जा रहे हो,,, जो मेरे किरदार में क्या कमीं है??? हम समझ ना सके या मुझे तुम,,, कि मेरे प्यार में क्या कमीं है??? दर्द ए दिल की दवा तुमको समझा,,, तुम तो दर्द ए मोहब्बत बनें हो!!! तुमको पाकर अमीरी मिली थी,,, अब तो गैरों की दौलत बनें हो!!! मशगूल था तेरे प्यार में मैं,,, गम के सागर में मुझको डूबाकर,,,, छोड़कर के मेरे दिल का मंदिर,,, जाने किसकी इबादत बनें हो!!! मेरी जज्बात को तोड़ डाले!!! रूख हवाओं का भी मोड़ डाले!!! मेरी आंखों को नदियाँ बनाकर,,, फिर समुंदर से क्यों जोड़ डाले??? एक मेरी भी सुन लो सिफारिश,,, अर्ज समझो या समझो गुजारिश!!! हम तेरे बिन जो कैसे रहेंगे ??? दर्द ए दिल मेरे कैसे सहेंगे??? लौटकर के चले आओ फिर से,,, जो मेरे संसार में क्या कमीं है??? हम समझ .............कमीं है??? नवरत्न मिश्रा,,, मुम्बई,,, 13/11/2021 ©Navratna Mishra #findyourself Gohil Bharat Sinh