पल्लव की डायरी नैतिकता हुयी शर्मशार प्यादों की तरह जनता छल रही है समीकरणों के बल पर सियासतें चल पड़ी है कौमो की एकता को घायल कर रही है आधारभूत सुविधाओं को मेट कर रेवड़ी कल्चर विकसित कर रही है अध्ययन ज्ञान हुनर सब को दरकिनार कर मुंडो को गिनकर राजनीत कर रही है धर्म के नाम पर फुसलाकर समाज को अफीम चटाने का प्रयास कर रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" समाज को अफीम चटाने का प्रयास कर रही है #nojotohindi