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लहरों सी तुम मन को छू कर, आती जाती रहती हो..! मैं

 लहरों सी तुम मन को छू कर,
आती जाती रहती हो..!
मैं साहिल सा तुम से,
लिपटने को तरसता रहता हूँ..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #BadhtiZindagi #sahil