दिल तो मुद्दत से उस पर मरता था कब से उसका ही दीवाना रे तेरी कलाई को छूना मेरे लिए महज एक अफ़साना रे। अफ़साना- कहानी,हिम्मत सिंह writing# thinking # Punjabi poetry Hindi poetry# Urdu poetry# दिल तो मुद्दत से उस पर मरता था कब से उसका ही दीवाना रे तेरी कलाई को छूना मेरे लिए महज एक अफ़साना रे। अफ़साना- कहानी,हिम्मत सिंह