गलती मेरी थी उसने मुझे चाहा ही नहीं मैं जिसे चाहत समझ बैठी.. गलती मेरी थी उसकी एक पल की मुस्कुराहट को प्यार समझ बैठी ।। वो तो हर बात पे हां करता था मैं इकरार समझ बैठी उसने मुझसे ज़्यादा एहमियत दी और को मै जिसे इक्तेफाक़ समझ बैठी ।। उसने कहा कोई है मेरी ज़िन्दगी में मैं खुद को उसकी हयात समझ बैठी उसकी बेरुखी को भी मैं मज़ाक समझ बैठी ।। गलती मेरी थी,गलती मेरी थी ।। #गलती #मेरी #थी