पसीने से चिपचिपाती सीट पर बैठा गाने सुनता देखो वो चलता जा रहा है कुहासी सड़क में आंखे फाड़ सफेद पट्टी ढूंढ रहा है खून जमाती पहाड़ी सड़कों में भी ठहर नहीं रहा है रात हो दिन हो गर्मी हो ठंडी हो बारिश हो तूफां हो समंदर से ऊंची चोटियों तक देखो कौन दस्तक दे रहा है दूध, आटा, सब्जी, दवाएं लेकर शायद कोई अनपढ़ ड्राइवर आया होगा ।।।।।।।।।।। हरि ॐ राम यादव 02.01.24 ©Ram Yadav #अध्यात्म #भारत #ड्राइवर