..............,....... ©Rahi मैं हर रात मर कर सुबह जिन्दा हो जाता हूँ हाँ मैं हर सुबह नया इंसा हो जाता हूँ.! बहुत से बाते huyi है कल, उसे भूल जाता हूँ हाँ मैं हर सुबह muskurata hua नया इंसा हो जाता हूँ.! और क्यू रखे kisi se bait बस इतना सच्चा हो जाता हूँ "हो में हर सुबह थोड़ा nadan, नया इंसा हो जाता हूँ.! मैं जानता हूँ धूप-Chhav में Bitati hai जीवन, बस बच्चा हो जाता हूँ हाँ मैं हर सुबह मासूम सा नया इंसा हो जाता हूँ.! aur घर मे हर रात टूट कर बिखरकर bilkul नया हो जाता हूँ.!