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माना महरूम हुये है हम, तेरी चाहत से, मगर यकीं उठ

माना महरूम हुये है हम, तेरी चाहत से, 
 मगर यकीं उठा नही है अभी मोहब्बत से, 
 जब भी दिख जाओगे,कंही राहों में हमें, 
 देखा करेंगे हरदम,तुम्हें बड़ी हसरत से, 
 कसम निभाने की, हमें बुरी आदत है, 
 हम मजबूर है बहुत, अपनी फितरत से, 
 ज़िक्र किया था कभी,तुमने मेरा कंही पे, 
 सब तेरा समझते है मुझे,इसी गफ़लत से, 
 जो बात दिल में है सुना देना तुम भी कभी, 
 जब कभी भी बैठेंगे कंही पे फुरसत से, 
 Jp arya Jp
माना महरूम हुये है हम, तेरी चाहत से, 
 मगर यकीं उठा नही है अभी मोहब्बत से, 
 जब भी दिख जाओगे,कंही राहों में हमें, 
 देखा करेंगे हरदम,तुम्हें बड़ी हसरत से, 
 कसम निभाने की, हमें बुरी आदत है, 
 हम मजबूर है बहुत, अपनी फितरत से, 
 ज़िक्र किया था कभी,तुमने मेरा कंही पे, 
 सब तेरा समझते है मुझे,इसी गफ़लत से, 
 जो बात दिल में है सुना देना तुम भी कभी, 
 जब कभी भी बैठेंगे कंही पे फुरसत से, 
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