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कोई खुशियों की चाह में रोया कोई दुखों की पनाह में

कोई खुशियों की चाह में रोया
कोई दुखों की पनाह में रोया..
अजीब सिलसिला हैं ये ज़िंदगी का..
कोई भरोसे के लिए रोया..
कोई भरोसा कर के रोया..

©Mira Hussain
  यादें शायरी
mirahussain2401

Mira Hussain

Bronze Star
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यादें शायरी

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