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बहुत दिन हुए सोचा कुछ लिखें तुम पर , मगर एक कल

बहुत दिन हुए  
सोचा कुछ लिखें तुम पर ,


मगर एक कलम है हमारी 
कुछ लिखने से पहले ही हमसे एक सवाल कर बैठी 

कि क्यूं लिखते हैं तुम इतना 
उस शख्स के बारे में 
जो तुम्हारे हाथों की लकीरों में नहीं है

जवाब हमने भी दें दिया

बेशक नहीं है वो हमारी लकीरों में
तभी तो हम उसे किताबों की 
लकीरों में समेट कर हम उसे 
अपना बनाना चाहते हैं !

©Anil Makwana #_tum har #_panne me #_mere ho
meri #_kalam ke pehla #_harf_tumhara h

#writer
बहुत दिन हुए  
सोचा कुछ लिखें तुम पर ,


मगर एक कलम है हमारी 
कुछ लिखने से पहले ही हमसे एक सवाल कर बैठी 

कि क्यूं लिखते हैं तुम इतना 
उस शख्स के बारे में 
जो तुम्हारे हाथों की लकीरों में नहीं है

जवाब हमने भी दें दिया

बेशक नहीं है वो हमारी लकीरों में
तभी तो हम उसे किताबों की 
लकीरों में समेट कर हम उसे 
अपना बनाना चाहते हैं !

©Anil Makwana #_tum har #_panne me #_mere ho
meri #_kalam ke pehla #_harf_tumhara h

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anilmakwana7170

Anil Makwana

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