न जाने क्यूँ वो हम से, किनारा किए बैठे हैं। एक हम हैं जो उन्हें, सहारा किए बैठे हैं । दीदार की बड़ी तलब है, दिले-बीमार को, रहगुज़र पर हम उनकी, नज़ारा किए बैठे हैं। मोहब्बत ग़र नहीं है, तो नफरत ही सही, राहे-उल्फत मे हर ज़ुल्म, गवारा किए बैठे हैं। महफिल मे क्यूँ बुला के, रुसवा किया ए साक़ी, जामे-अश्क़ पी- पी के हम, गुज़ारा किए बैठे हैं। वादे पे वो न आए हैं, न आएँगे कभी ,"फिराक़", फिर भी हम हैं कि, ख़याले-याराँ किए बैठे हैं।। नमस्कार लेखकों! 🌺 आज का WOTD (Word Of The Day)— किनारा or shore. 🌻दिए गए शब्द का अपने लेखन में प्रयोग किजिये। 🌻अपने लेखन को आप अपनी मर्ज़ी मुताबिक हिंदी या English में अभिव्यक्त कर सकते है। (Both Hindi and English are allowed.)