ख़्वाब था या हकीकत याद नहीं वो दूर था या पास याद नहीं रखा था राज़-ए-दिल जो छुपा कर उसने कहा ना कहा याद नहीं मुद्दतों सें बंजर थी दिल-ए-जमीं वो बादल बरसा न बरसा याद नहीं अँधेरी सी जिंदगी में मेरी उसने चराग जलाया के बुझाया याद नहीं अधूरा लगता हैं किरदार-ए-कुमार किसी नें संवारा के बिगाड़ा याद नहीं —Kumar✍️ ©The Unstoppable thoughts #Likho #nojota #nojotoLove #nojotowriters #nojotoshayari #nojotopeople