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हर रोज हर घडी दर्स जो नफरत का दियाजैगा। अपने अंदर

हर रोज हर घडी दर्स 
जो नफरत का दियाजैगा।
अपने अंदर छिपे जानवर
को केसे कोई रोकपाइगा।।
उजाड़ बस्तियों में फिर
 ढोंडे जायेंगे हमारे निशान ।
ये वीराना कभी आबाद था।
लोगों को बताया जाएगा।।

©Batish Nadeem #दरस

#दरस

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