बिखरी पड़ी थी मेरी जिंदगी सूखे पत्तों की तरह। किसी ने मुझे समेटा भी तो जलाने के लिए। आज मेरा हाल है कापी के उन गत्तो की तरह। किसी ने मुझे कोरा छोड़ दिया जलानेे के लिए। मैं हमेशा उसके पीछे रहा एक परछाई की तरह। वो हमसे दूर होती गई मुझको भगाने के लिए। ✍विवेक #सूखे पत्ते