कब तक निर्दोषों का खून बहेगा कब तक खून की होगी होली । कब तक निर्दोषों के सीनों को दागेगी आतंक की गोली । जिनके पास दिल ही नहीं केवल नफरत की आग । कब तक उजड़ेगा खुशियों का बाग । सड़कों पर बिखरा है खून । देते निर्दोषों को भून । क्यों बेबस है क़ानून । इंसानियत का दुश्मन है ये पागलपन जूनून । धमाकों की धमकी से देश नहीं है डरता । वेतन पर मर मिटने को हर कोई तैयार है रहता। शायर :- शैलेन्द्र सिंह यादव #NojotoQuote शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी कब तक होगी खून की होली।