बादल को बरसात को, धूप को छाँव को बीज को खलिहान को फसल को दाम को रोटी को परिधान को काश्तकार हैं तरस गए हम पहचान को तरस गए हम ख़ुद से मिलने को। #तरसगए #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi