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मौत ज़िन्दगी को हर बेरुख़ी से कितनी दूर ले जाती है ख़

मौत ज़िन्दगी को हर बेरुख़ी से कितनी दूर ले जाती है
ख़ाक कर तेरे ज़िस्म का लिबास वो राख़ हो जाती हैं।
बाँध ले बन्धन तू कितने भी इस जहाँ से 
हर बन्धन तोड़कर एक दिन रूह जिस्म से आजाद हो जाती है।


shweta nishad #zindgi #maut #khushiya #dard
मौत ज़िन्दगी को हर बेरुख़ी से कितनी दूर ले जाती है
ख़ाक कर तेरे ज़िस्म का लिबास वो राख़ हो जाती हैं।
बाँध ले बन्धन तू कितने भी इस जहाँ से 
हर बन्धन तोड़कर एक दिन रूह जिस्म से आजाद हो जाती है।


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