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कारवाँ गुजर गया गुबार देखते रहे हमकदम बन के चले जो

कारवाँ गुजर गया गुबार देखते रहे
हमकदम बन के चले जो,
   वो छोड़कर आगे  निकलते रहे 
रस्में उ़ल्फत हमने दिलोजान से निभाई,
 वो अरमान कदमों से कुचलते रहे
आलम ए बेकसी ये है कि
      हम फिर भी शैदाई बन फिरते रहे  !!


     कारवाँ गुजर गया गुबार देखते रहे
हमकदम बन के चले जो,
   वो छोड़कर आगे  निकलते रहे 
रस्में उ़ल्फत हमने दिलोजान से निभाई,
 वो अरमान कदमों से कुचलते रहे
आलम ए बेकसी ये है कि
हम फिर भी शैदाई बन फिरते रहे  !!
२१/७/२०१८
कारवाँ गुजर गया गुबार देखते रहे
हमकदम बन के चले जो,
   वो छोड़कर आगे  निकलते रहे 
रस्में उ़ल्फत हमने दिलोजान से निभाई,
 वो अरमान कदमों से कुचलते रहे
आलम ए बेकसी ये है कि
      हम फिर भी शैदाई बन फिरते रहे  !!


     कारवाँ गुजर गया गुबार देखते रहे
हमकदम बन के चले जो,
   वो छोड़कर आगे  निकलते रहे 
रस्में उ़ल्फत हमने दिलोजान से निभाई,
 वो अरमान कदमों से कुचलते रहे
आलम ए बेकसी ये है कि
हम फिर भी शैदाई बन फिरते रहे  !!
२१/७/२०१८
anitasaini9794

Anita Saini

Bronze Star
New Creator