रखने वाले कितना ख्याल रख पाते हैं हमारे मामले बस हाथ से निकल जाते हैं शाम से देखो तो सुबह पुरानी जान पड़ती है रोज़मर्रा के हाल का कितना ख्याल रख पाते हैं आधा दिन गुजर जाता है दोपहर तक मेरी जिंदगी दोपहर के दर्द तुम्हारा सब कितना ख्याल रख पाते हैं आधी रात अजीब सा खालीपन डर बनके टकराता है रातों तेरे बेतहाशा ठहरावों का कितना ख्याल रख पाते हैं वक़्त बेवक्त खुशी के पल भटके मुसाफ़िर से आ जाते हैं बेवक्त मिले मोतियों का वाकई कितना ख्याल रख पाते हैं मुहब्बत बनके कोई सदा अक्सर पुकारा करती है लोगों नही सुन पाते इन तब्दीलियों का कितना ख्याल रख पाते हैं जुबां पे शिकायत सी रहती कि किसी को हमारी फ़िक्र नहीं औरों के उपर अपने बर्ताव का भी कितना खयाल रख पाते हैं मुहब्बत जिंदगी से कभी नहीं निकलती शायद कभी नहीं बीच रास्ते जिसे छोड़ आते हम उसका कितना ख्याल रख पाते हैं। Caretakers ! #caring #heartbreak #society #priority #passion4pearl #shahbazwrites #yqbaba #yqtales