छोटी छोटी ख्वाहिशों का, बोझ हैं तो रहने दे तू ऊँचे ऊँचे सपनें देख,कोई लोभ हैं तो रहने दे तू चालाकियाँ भी कर, तू वफ़ादारिया भी कर बेवकूफियों के लिये मग़र, जगह अलग से रख कभी बड़ा बना जा तू, क़भी ख़ुद को बच्चा ही रहने दे हर चीज़ का इलाज़ ज़रूरी तो नहीं, कुछ को बे इलाज भी रहने दें छोटी छोटी ख्वाहिशों का...... ©Shraddha Shrivastava छोटी छोटी ख्वाहिशों का #Twowords