आज सुबह का नमस्कार दोस्तों🙏 एक कविता पढ़ी है मैंने सोचा अपने सभी लोगों के भी पढ़ने को दूं.... आपको भी पढ़नी चाहिए उम्मीद है कि आप सभी लोगों को पसन्द आएगी.... Read in caption.... कंद-मूल खाने वालों से मांसाहारी डरते थे पोरस जैसे शूर-वीर को नमन 'सिकंदर' करते थे॥ चौदह वर्षों तक खूंखारी वन में जिसका धाम था मन-मन्दिर में बसने वाला शाकाहारी राम था।। चाहते तो खा सकते थे वो मांस पशु के ढेरो में लेकिन उनको प्यार मिला 'शबरी' के जूठे बेरो में॥