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हद से ज़्यादा भी प्यार मत करना जी हर इक पे निसार म

हद से ज़्यादा भी प्यार मत करना
जी हर इक पे निसार मत करना

क्या ख़बर किस जगह पे रुक जाए
साँस का एतिबार मत करना

©Mehfil-e-Mohabbat ✍️♥️ क़मर एजाज़ साहब ♥️✍️
हद से ज़्यादा भी प्यार मत करना
जी हर इक पे निसार मत करना

क्या ख़बर किस जगह पे रुक जाए
साँस का एतिबार मत करना

©Mehfil-e-Mohabbat ✍️♥️ क़मर एजाज़ साहब ♥️✍️