किसान बहे पसीना तेज धुप में, या बादल की छाँव तले,घुँघरुँ वाले बेलो के,मिट्टी तले पाँव तले,,,, ,,,,मेरे रग से रंग तेरा रंग रहा हुँ, मै गीत खुशहाली के लिख रहा हुँ,,,, "मैं"किसान,,,,,, , मार्तण्ड की तपन मे जलकर, मुस्कान लिये पसीने की बुँद से खिल रहा हुँ,,,,