परवरिश, तो इस हद तक भी हुई है कि जब भूखी रातो मे नींदे बिखर रही होती है तब मां...आज भी दो रोटिया लिए सपनो मे आ जाती है.. और इत्तेफ़ाक तो इस कदर भी हुआ है कि अगली सुबह ही नसीब मेहरबा हो जाती है फिर दो नही चार रोटियां मिल जाती है.. शायद, मां की दुआए, वहां से भी काम करती है... "हम ठहरे उसी दहलीज पर जहां से हर कोई निकला चार रोटिया संग खूब दुआए तो सिर्फ मां लेकर आयी"। फ़रिश्ते, तो कहानियों मे होते ही है पर कुछेक से जमीनी मुलाकात होते रहती है। #yqbaba #yqdidi #maa