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उजड़े और उजड़ कर बसे, हमने नये आशियाने बनाये.... रेत

उजड़े और उजड़ कर बसे, हमने नये आशियाने बनाये....
रेत से फिसलते वक़्त के बीच आज तुम  फिर से बहुत याद आये......

✍️मिर्ज़ा आमिर
 #बहुत याद आये
उजड़े और उजड़ कर बसे, हमने नये आशियाने बनाये....
रेत से फिसलते वक़्त के बीच आज तुम  फिर से बहुत याद आये......

✍️मिर्ज़ा आमिर
 #बहुत याद आये

#बहुत याद आये