जब भी यादों के नक्श हमसे टकरा जाते हैं आप बेहिसाब याद आते हैं .. जब सांसे ठहरने लगती है जब धड़कने बढ़ने लगती हैं जब कुछ दर्द फिर से उभर आते हैं आप बेहिसाब याद आते हैं... जब भी आसमान में कोई तारा टूटता है जब भी कोई मासूम पतंग लूटता है जब भी सावन में बादल छाते हैं जब आप बेहिसाब याद आते हैं .... जब भी गर्मी में ढलता सूरज दिखने लगता है जब चंदा में उजियारा बढ़ता है जब सांझ ढले पंछी वापस आते हैं आप बेहिसाब याद आते हैं.... जब अमलतास के फूल झड़ने लगते हैं जब सावन में झूले पड़ते हैं जब किताबों में फूल मिल जाते हैं आप बेहिसाब याद आते हैं .. जब भीड़ भी तनहा कर देती है जब आंखों से नींद लौटने लगती है जब सपनों का साथ छूटने लगता है जब हौसले बुझने लगते हैं जब दो पंछी साथ में गाते हैं आप बेहिसाब याद आते हैं.... ©Prashant Kn sharma #yaadatehai