क्रोध। जब दर्द का दरिया बढ़ जाता है, जब अत्याचार कदम बढ़ाता है, तब इंसा को क्रोध लाना ही पड़ता है, क्रोध इंसान की जरूरत भी है, क्योंकि क्रोध इंसान का रक्षक भी है। क्रोध की कोई सीमा नहीं, लेकिन क्रोध का अंत भी है। जब अश्रुओ का सागर बहने लगता है, सच को साबित करने के लिए, जब चिखो की सुनवाई भी नजरअंदाज हो, तो आंखों में गर्जन लाना ही पड़ता है।, जब दुख से पीड़ित हो जाता है प्राणी, तो उसे विकराल रूप दिखाना ही पड़ता है। जब अपमानो से गिर जाता है प्राणी, उसे क्रोध को साथी बनाना ही पड़ता है। जब पाप का घड़ा भर जाता है, उसे 1 दिन फूट जाना ही पड़ता है। जब आत्मा में क्रोध रहता है, तो उसे बाहर आना ही पड़ता है। क्रोध जीवन की जरूरत भी है, कभी कभी क्रोध जीवन में लाना भी पड़ता है। #क्रोध