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एक बार की बात है की केकई मातारसोई में भोजन बना रही

एक बार की बात है की केकई मातारसोई में भोजन बना रही थी तो उन्होंने भगवान राम को रसोई में आने के लिए मना कर दिया ताकि उन्हें कोई नुकसान ना पहुंचे और यह कहकर वहां से चली गईअचानक के वहां पर एक कौवा आ पहुंचा उसने भोजन करते हुए भगवान राम की रोटी को छीन लिया और इधर-उधर होने लगा तो भगवान राम उसके पीछे पीछे भागने लगे वह पहले तीनों लोकों में घूम गया लेकिन उसके रक्षा करने वाला कोई ना बचा क्योंकि मारने वाला भी भगवान और बचाने वाला भी भगवान तो तो वह कौवा भगवान राम के चरण में आ गयाऔर वह जो तीर था वह उसकी आंख में लग गया और वह एक आंख से अंधा हो गया तो उसने पूछा भगवान आपकी चरण रज को पाकर तो हर इंसान धन्य हो जाता है और बैकुंठ को चला जाता है और आप की शरण में रहता है तो मैंने तो आपकी रोटी को छुआ था तो आपने मेरे साथ ऐसा क्यों किया तब भगवान राम ने कहा की यह बात सच है लेकिन किसी चीज को छीनना बहुत बुरी बात है पर तुमने यह प्रसाद पाया है तो मैं तुम्हें आशीर्वाद देता हूं की तुम आने वाली घटना को देख सकोगे और तुम जिस घर भी जाकर बैठोगे तो बहुत शुभ सूचक होगा तभी से सारे कोए एक आंख से देखते हैं ताकि सबक याद रहे की गलती करने वाले को सजा अवश्य मिलती है तभी जब के कई माता वहां आई तब भगवान राम का  पैर रसोई की देहली के अंदर था तब माता कैकई ने कहा कि तुमने मेरी आज्ञा का उल्लंघन किया है इसलिए तुम्हें सजा जरूर मिलेगी तब भगवान राम ने कहा कि माता आप मुझे सजा दे क्योंकि गलती तो मुझसे हुई है लेकिन ऐसा सुनते माता कैकई ने कहा नहीं मैं तुम्हें सजा नहीं दूंगी तब भगवान राम ने कहा कि माता यह वचन आपके मुंह से निकला है तो आप मुझे कभी ना कभी तो इस बात की सजा तो देनी ही पड़ेगी तो अभी आप ना दे पर भविष्य में कुछ ऐसा होगा तब आपको मुझे यह सजा जरूर देना पड़ेगा यह वचन भगवान राम ने माता केकई से लिया था और वह वचन केकई माता ने 14 वर्ष के वनवास और भरत के राज्य अभिषेक के तौर पर मांगे थे

©Chandrawati Murlidhar Gaur  Sharma कर्म के बंधन में तो स्वयं भगवान बंधे हुए हैं

#NojotoRamleela
एक बार की बात है की केकई मातारसोई में भोजन बना रही थी तो उन्होंने भगवान राम को रसोई में आने के लिए मना कर दिया ताकि उन्हें कोई नुकसान ना पहुंचे और यह कहकर वहां से चली गईअचानक के वहां पर एक कौवा आ पहुंचा उसने भोजन करते हुए भगवान राम की रोटी को छीन लिया और इधर-उधर होने लगा तो भगवान राम उसके पीछे पीछे भागने लगे वह पहले तीनों लोकों में घूम गया लेकिन उसके रक्षा करने वाला कोई ना बचा क्योंकि मारने वाला भी भगवान और बचाने वाला भी भगवान तो तो वह कौवा भगवान राम के चरण में आ गयाऔर वह जो तीर था वह उसकी आंख में लग गया और वह एक आंख से अंधा हो गया तो उसने पूछा भगवान आपकी चरण रज को पाकर तो हर इंसान धन्य हो जाता है और बैकुंठ को चला जाता है और आप की शरण में रहता है तो मैंने तो आपकी रोटी को छुआ था तो आपने मेरे साथ ऐसा क्यों किया तब भगवान राम ने कहा की यह बात सच है लेकिन किसी चीज को छीनना बहुत बुरी बात है पर तुमने यह प्रसाद पाया है तो मैं तुम्हें आशीर्वाद देता हूं की तुम आने वाली घटना को देख सकोगे और तुम जिस घर भी जाकर बैठोगे तो बहुत शुभ सूचक होगा तभी से सारे कोए एक आंख से देखते हैं ताकि सबक याद रहे की गलती करने वाले को सजा अवश्य मिलती है तभी जब के कई माता वहां आई तब भगवान राम का  पैर रसोई की देहली के अंदर था तब माता कैकई ने कहा कि तुमने मेरी आज्ञा का उल्लंघन किया है इसलिए तुम्हें सजा जरूर मिलेगी तब भगवान राम ने कहा कि माता आप मुझे सजा दे क्योंकि गलती तो मुझसे हुई है लेकिन ऐसा सुनते माता कैकई ने कहा नहीं मैं तुम्हें सजा नहीं दूंगी तब भगवान राम ने कहा कि माता यह वचन आपके मुंह से निकला है तो आप मुझे कभी ना कभी तो इस बात की सजा तो देनी ही पड़ेगी तो अभी आप ना दे पर भविष्य में कुछ ऐसा होगा तब आपको मुझे यह सजा जरूर देना पड़ेगा यह वचन भगवान राम ने माता केकई से लिया था और वह वचन केकई माता ने 14 वर्ष के वनवास और भरत के राज्य अभिषेक के तौर पर मांगे थे

©Chandrawati Murlidhar Gaur  Sharma कर्म के बंधन में तो स्वयं भगवान बंधे हुए हैं

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