◆◆ जिंदगी ◆◆ ========== शिखर तक के इस सफर में, रिश्तों की कदर खो रही। कुछ पलों की -ये जिंदगी, तभी- इतनी महंगी हो रही। कभी आसमां से ऊँचे थे , अब उड़ानें ये- खो रही। कभी दबदबा था बोली का, अब बेअसर सी हो रही। राग बंटवारे का सुनके , मन में चुबन सी हो रही। थे गर्दिशों में जिनके साथ, उन्हें हमसे घुटन हो रही। बढ़ी बेबसी सी- हो रही , यूँ फ़ना आरज़ू हो रही। कुछ कर न पाया अबतलक मैं,आँख -आँख को धो रही। औरों का नाम लिया पर , हाल - ए - दिल सी हो रही। जन्नत्तो की ख्वाइशों में , हक़ीक़ते है खो रही। " विकास शर्मा " #nojotoजिंदगी #nojotoग़ज़ल #nojotoशायरी#nojotoशेर#nojotoग्वालियर #nojoto_हाल_ए_दिल #गर्दिश:-बुरा वक्त