Nojoto: Largest Storytelling Platform

वो क्‍या दिन थे, मम्‍मी की गोद और पापा के कंधे, न

वो क्‍या दिन थे,
मम्‍मी की गोद और पापा के कंधे,
न पैसे की सोच और न लाइफ के फंडे
न कल की चिंता और न फ्यूचर के सपने,
अब कल की फिकर और अधूरे सपने,
मुड़ कर देखा तो बहुत दूर हैं अपने,
मंजिलों को ढूंडते हम कहॉं खो गए,
न जाने क्‍यूँ हम इतने बड़े हो गए,
रोने की वजह भी न थी,
न हंसने का बहाना था,
क्यो हो गए हम इतने बडे,
इससे अच्छा तो वो बचपन था |

©Riyanshi Varshney
  #ParentsLove #childhood_memories #nojato #Smile #Poetry #India #Childhood #God