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एक बहुत ही भोला भाला सा आलसी लड़का था वह कोई काम नह

एक बहुत ही भोला भाला सा आलसी लड़का था वह कोई काम नहीं करना चाहता था। बस खाना खाता, घूमता और सोते रहता था। एक दिन उसे किसी ने बताया की एक आश्रम है जहा पर कुछ नहीं करना पड़ता है और हर दिन दो समय का खाना और नास्ता मिलता है तुम वहा जा करके रहो।

उस आलसी लड़के ने सोचा की ये तो बहुत ही बढ़िया है और वह उस आश्रम में जाकर रहने को सोचा और फिर वह भोला भाला आलसी लड़का अपना सारा सांसारिक जीवन छोड़कर उस आश्रम में जाकर रहने लगा।

आश्रम में गुरु जी रहते थे वह कुछ समय सबको प्रवचन देते है वह आलसी लड़का सुनता था बाकि समय आराम करता था और फिर भर पेट खाना खाकर सो जाता था।

ऐसे ही उस लड़के का दिन गुजरता गया। एक दिन उस आश्रम में कुछ भी नहीं बना। नास्ते के समय नास्ता नहीं मिला उसने सोचा नास्ता नहीं मिला भोजन तो मिलेगा। अब भोजन के समय भी उसे भोजन नहीं मिला। लड़का दौड़ करके गुरु जी के पास गया और उसने पूछा की आज भोजन क्यों नहीं बना।गुरु जी ने कहा की बेटा आज एकादशी है और जितने भी आश्रम के सदस्य है उनका उपवास है और तुम्हारा भी आज उपवास है आज भोजन नहीं बनेगा। वह लड़का आलसी था और उसे भूख भी बहुत लगता था उसने गुरूजी से बोला की मै उपवास नहीं रहूँगा मुझे भूख लगी है मै खाना खाऊंगा।

गुरूजी ने बोला ठीक है जाओ भंडारे में से सामान ले करके आओ और आश्रम में नहीं बाहर ले जा करके बना लो लेकिन याद रखना भोजन बनाने के बाद सबसे पहला भोग भगवान को लगाना और फिर तुम प्रसाद पाना।

वह लड़का बोला ठीक है और फिर आनाज लेकर नदी की ओर पंहुचा। भोजन पकाने लगा, तैयार हुआ उसके बाद कहने लगा की भगवान श्रीराम आईये पधारिये भोग लगाइये। अब जब उसे लगा की भगवान तो आ नहीं रहे है तो फिर कहने लगा की मुझे मालूम है आपको तो अच्छा खाने की आदत है मै बना नहीं पाया और मुझे अच्छा भोजन बनाने भी नहीं आता लेकिन जो भी रुखा सूखा बना है आकर खा लीजिये।

भगवान श्रीराम उसकी सरलता पर बहुत ही प्रसन्न हुए और उस लड़के को दर्शन दे दिए उसने देखा की भगवान श्रीराम आये हुए है और उनके साथ में माता सीता भी आयी हुयी है। लेकिन लड़के ने सिर्फ दो लोगो के लिए ही भोजन बनाया था एक अपने लिए और दूसरा भगवान के लिए और अब क्योकि भगवान के साथ माता सीता भी आयी हुयी थी तो उसने उस भोजन को माता सीता और भगवान के सामने ग्रहण करने के लिए रख दिया।

भगवान श्रीराम और माता सीता ने भोजन किया और उसके बाद जब वह जाने लगे तो यह भोला सा आलसी सा लड़का बोला की प्रभु आप आये दर्शन दिए बहुत अच्छा लगा, मुझे खाने को कुछ नहीं मिला लेकिन कोई बात नहीं लेकिन आपसे एक विनती है की अगली बार जब आप आएंगे तो कितने लोग आएंगे ये बता दीजिये ताकि मै उतने लोगो के लिए भोजन बनाकर रखा रहू। भगवान श्रीराम मन ही मन मुस्कुराये और फिर अंतर ध्यान हो गए।

लड़का आश्रम गया, दिन बीतता गया और फिर एकादशी का दिन आया और इस बार उसने तीन चार लोगो के लिए आनाज ले करके खाना बनाने के लिए नदी के किनारे पंहुचा और उसने बड़े प्रसन्नता से भोजन बनाया और इंतजार करने लगा की प्रभु आईये और भोग लगाइये।

©Nishant Kumar
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