नादाँ दिल की गुस्ताख़ी को ज़रा माफ़ कीजिए। हम किए परेशाँ बहुत हो सके तो डांट लीजिए! ज़रा-ज़रा सी बात पर होते हम भी थे नाराज़। ठोकरे मिली इतनी की ख़ुद को सम्भाल लिए! है मासूम मन बेचारा रो जाता है हर बात पर। क्या करे जनाब अब आप ही समझा दीजिए! तमन्नाओं की सीमा नहीं देखता बस ख्वाब। जो पूरा हो ना सके, ऐसी इच्छाएं ना पालिये! जो भी हो तक़दीर में बस उसी में मुस्कुराइए। हर कोई पूरा नहीं, आधे-अधूरे को अपनाइये! नसीब में नहीं था जो दिल ना उससे लगाइये। जैसा भी हो हमारा सफ़र बस चलते ही जाइये! मंज़िल की तलाश छोड़ राह को गले लगाइये। ज़िंदगी एक है, मीट जाने की गलती ना दोहराइये! ♥️ Challenge-779 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।