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रिश्ते सांसों के धागों में पिरो लूं मन करता है सब

रिश्ते सांसों के धागों में पिरो लूं

मन करता है सबको अपना बनाकर
सांसों के धागों में पिरो लूं।
 सबके दिलों में समाकर 
सबको अपना बना लूं।।
तीनों मोतियों की गांठ बनाकर
सबको मजबूती से बांध लूं।

न कभी तन्हा महसूस करूं
न किसी को गम आने दूं.......

इन कोशिशों के दायरे में जाकर
जाने कहा खुदको समेट लूं।।
अपनी बाते होंटो में दफनाकर
जाने कितनी हंसी बटोर लूं।
किस किस को समझाकर
खुदको उन सबमें ढूढ़ लूं।।

चाहतें कहां चाहने से पूरी होती है
कभी कभी रिश्तों से दूर होना मजबूरी होती है..
 
आंसुओ को रखूं कहां संभालकर
दिल की तिजोरी में कही रख लूं।
रख दूं कहां उम्मीदों को छिपाकर
बह न पाए एक भी रिश्ता संभाल लूं।।

 ए काश खुद को आइना बनाकर
अपने मन की तस्वीर सबको दिखा दूं।
ए खुदा हर गुनाह की माफी मांगकर।
के खुद को तुझमें समा लूं।।
चल ए जिंदगी तुझे जीने की नई राह दिखा दूं.......
शिल्पी

©chahat
  रिश्तों को सांसों के धागों में पिरो लूं
shilpijain8470

chahat

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रिश्तों को सांसों के धागों में पिरो लूं #Shayari

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