रूठना-मनाना हां प्यार तो आज भी है तभी तो है ये रूठना मनाना माना थोड़ी दूरियां बढ़ रही हैं मैं हर बार कहता हूं अब लौट कर नहीं आना। मगर हर बार गलती मेरी नहीं है गर मैं जा रहा था तुम्हे एक बार तो था बुलाना खुद कभी पास आते नहीं कहते हो क्या कहेगा जमाना चलो ना फिर एक साथ हो जाते हैं छोड़ो यूं एक दूसरे को आजमाना। फिर मुलाकात होगी कभी#