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मुश्किल घड़ी और दोस्त यार कॉमरेड, वो अक्सर कहता था।

मुश्किल घड़ी और दोस्त यार कॉमरेड,
वो अक्सर कहता था। कि मेरे सपने थोड़े बड़े हैं। और हम सब दोस्त हँस देते थे। वो क्या है जब कोई गांव या कस्बों में ऐसी बातें करता है ना।तो लोग हंसते ही हैं।मुझे आज भी याद है वो हमेशा उल्टा चलता था।जब हम सड़क पर चलते तो वो सड़क के किनारे बनी नालियों की दीवारों पर।एक बार तो वो पूरा गिर गया था नाली में।लेकिन वो अपनी हरकतों से बाज कहां आता था।जब मैंने तुम्हें पहली बार देखा था तो उसे ही बताया था ,तुम्हारे बारे में। उस दिन के बाद वो हमेशा तुम्हें भाभी बुलाता था।तुम्हारी वो चश्में वाली सहेली बहुत पसंद थी उसे।लेकिन उसने कभी बात नहीं की । मैंने जब भी कहता "बात करवाऊं क्या तेरी",तो बोलता "नहीं यार,मेरे सपने बड़े हैं। बारहवीं के बाद उसने डिग्री में एडमिशन ले लिया और मैंने डिप्लोमा में।अब उस से बातें कम होती थीं।लेकिन हां जब भी तुम नाराज होती तो वो ही सलाह देता था मुझे।उसने बताया था कि उसकी स्नातक के बाद उसकी मां गुजर गई थीं।इस लिए उसकी शादी हो गई है।उसकी पत्नी हर काम में कुशल और पढ़ाई में अव्वल हा।।कल जब अखबार में उसकी तस्वीर देखी उसकी पत्नी के साथ।मेरी आंखों में आसूं आ गए।अखबार की हेडलाइन में लिखा था "पति पत्नी ने साथ में पास की UPSC की परीक्षा"।वो सच कहता था,उसके सपने थोड़े बड़े थे।
उसने ये भी सिखाया  कि सपनों के चक्कर में अपनो का हाथ ना छूट पाएं। और एक हम थे,जो ना कबहूं तुमाए बाऊ जी से ,तुमाओ हाथ मांग पाए।ना ही कबहूँ अपने सपनो की लें लड़पाए।....#जलज कुमार

©JALAJ KUMAR RATHOUR यार कॉमरेड,
वो अक्सर कहता था। कि मेरे सपने थोड़े बड़े हैं। और हम सब दोस्त हँस देते थे। वो क्या है जब कोई गांव या कस्बों में ऐसी बातें करता है ना।तो लोग हंसते ही हैं।मुझे आज भी याद है वो हमेशा उल्टा चलता था।जब हम सड़क पर चलते तो वो सड़क के किनारे बनी नालियों की दीवारों पर।एक बार तो वो पूरा गिर गया था नाली में।लेकिन वो अपनी हरकतों से बाज कहां आता था।जब मैंने तुम्हें पहली बार देखा था तो उसे ही बताया था ,तुम्हारे बारे में। उस दिन के बाद वो हमेशा तुम्हें भाभी बुलाता था।तुम्हारी वो चश्में वाली सहेली बहुत पसंद थी उसे।लेकिन उसने कभी बात नहीं की । मैंने जब भी कहता "बात करवाऊं क्या तेरी",तो बोलता "नहीं यार,मेरे सपने बड़े हैं। बारहवीं के बाद उसने डिग्री में एडमिशन ले लिया और मैंने डिप्लोमा में।अब उस से बातें कम होती थीं।लेकिन हां जब भी तुम नाराज होती तो वो ही सलाह देता था मुझे।उसने बताया था कि उसकी स्नातक के बाद उसकी मां गुजर गई थीं।इस लिए उसकी शादी हो गई है।उसकी पत्नी हर काम में कुशल और पढ़ाई में अव्वल हा।।कल जब अखबार में उसकी तस्वीर देखी उसकी पत्नी के साथ।मेरी आंखों में आसूं आ गए।अखबार की हेडलाइन में लिखा था "पति पत्नी ने साथ में पास की UPSC की परीक्षा"।वो सच कहता था,उसके सपने थोड़े बड़े थे।
उसने ये भी सिखाया  कि सपनों के चक्कर में अपनो का हाथ ना छूट पाएं। और एक हम थे,जो ना कबहूं तुमाए बाऊ जी से ,तुमाओ हाथ मांग पाए।ना ही कबहूँ अपने सपनो की लें लड़पाए।....#जलज कुमार

#december
मुश्किल घड़ी और दोस्त यार कॉमरेड,
वो अक्सर कहता था। कि मेरे सपने थोड़े बड़े हैं। और हम सब दोस्त हँस देते थे। वो क्या है जब कोई गांव या कस्बों में ऐसी बातें करता है ना।तो लोग हंसते ही हैं।मुझे आज भी याद है वो हमेशा उल्टा चलता था।जब हम सड़क पर चलते तो वो सड़क के किनारे बनी नालियों की दीवारों पर।एक बार तो वो पूरा गिर गया था नाली में।लेकिन वो अपनी हरकतों से बाज कहां आता था।जब मैंने तुम्हें पहली बार देखा था तो उसे ही बताया था ,तुम्हारे बारे में। उस दिन के बाद वो हमेशा तुम्हें भाभी बुलाता था।तुम्हारी वो चश्में वाली सहेली बहुत पसंद थी उसे।लेकिन उसने कभी बात नहीं की । मैंने जब भी कहता "बात करवाऊं क्या तेरी",तो बोलता "नहीं यार,मेरे सपने बड़े हैं। बारहवीं के बाद उसने डिग्री में एडमिशन ले लिया और मैंने डिप्लोमा में।अब उस से बातें कम होती थीं।लेकिन हां जब भी तुम नाराज होती तो वो ही सलाह देता था मुझे।उसने बताया था कि उसकी स्नातक के बाद उसकी मां गुजर गई थीं।इस लिए उसकी शादी हो गई है।उसकी पत्नी हर काम में कुशल और पढ़ाई में अव्वल हा।।कल जब अखबार में उसकी तस्वीर देखी उसकी पत्नी के साथ।मेरी आंखों में आसूं आ गए।अखबार की हेडलाइन में लिखा था "पति पत्नी ने साथ में पास की UPSC की परीक्षा"।वो सच कहता था,उसके सपने थोड़े बड़े थे।
उसने ये भी सिखाया  कि सपनों के चक्कर में अपनो का हाथ ना छूट पाएं। और एक हम थे,जो ना कबहूं तुमाए बाऊ जी से ,तुमाओ हाथ मांग पाए।ना ही कबहूँ अपने सपनो की लें लड़पाए।....#जलज कुमार

©JALAJ KUMAR RATHOUR यार कॉमरेड,
वो अक्सर कहता था। कि मेरे सपने थोड़े बड़े हैं। और हम सब दोस्त हँस देते थे। वो क्या है जब कोई गांव या कस्बों में ऐसी बातें करता है ना।तो लोग हंसते ही हैं।मुझे आज भी याद है वो हमेशा उल्टा चलता था।जब हम सड़क पर चलते तो वो सड़क के किनारे बनी नालियों की दीवारों पर।एक बार तो वो पूरा गिर गया था नाली में।लेकिन वो अपनी हरकतों से बाज कहां आता था।जब मैंने तुम्हें पहली बार देखा था तो उसे ही बताया था ,तुम्हारे बारे में। उस दिन के बाद वो हमेशा तुम्हें भाभी बुलाता था।तुम्हारी वो चश्में वाली सहेली बहुत पसंद थी उसे।लेकिन उसने कभी बात नहीं की । मैंने जब भी कहता "बात करवाऊं क्या तेरी",तो बोलता "नहीं यार,मेरे सपने बड़े हैं। बारहवीं के बाद उसने डिग्री में एडमिशन ले लिया और मैंने डिप्लोमा में।अब उस से बातें कम होती थीं।लेकिन हां जब भी तुम नाराज होती तो वो ही सलाह देता था मुझे।उसने बताया था कि उसकी स्नातक के बाद उसकी मां गुजर गई थीं।इस लिए उसकी शादी हो गई है।उसकी पत्नी हर काम में कुशल और पढ़ाई में अव्वल हा।।कल जब अखबार में उसकी तस्वीर देखी उसकी पत्नी के साथ।मेरी आंखों में आसूं आ गए।अखबार की हेडलाइन में लिखा था "पति पत्नी ने साथ में पास की UPSC की परीक्षा"।वो सच कहता था,उसके सपने थोड़े बड़े थे।
उसने ये भी सिखाया  कि सपनों के चक्कर में अपनो का हाथ ना छूट पाएं। और एक हम थे,जो ना कबहूं तुमाए बाऊ जी से ,तुमाओ हाथ मांग पाए।ना ही कबहूँ अपने सपनो की लें लड़पाए।....#जलज कुमार

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