वो कल खडी़ थी दुसरे गली में,आज मेरे गली में खडी़ नजर आ रही है| बाहें फैलाके खडी़ है वो मेरे इंतजार में मुझे पता है लेकिन अभी क्यों मुझे बुला रही है| जितना में दुर भागना चाहता हुँ उससे वो उतना मेरे करीब आ रही है| जाऊँ कैसे छोड के इस सफर को बीच में वो मुझे अलग ही सफर पे ले जा रही है| जाऊँ कैसे अभी कुछ काम हैं और बाकी कम है वक्त,वो बनी है सक्त,देखो मुझे बुला रही है| जाना तो सब को है एक दिन उसके साथ लेकिन क्यों वो मुझे जल्द ले जा रही है| वो भी क्या करेगी,ये तो खुदा का फरमान है देखो वो मौत मेरी महेबुबा मुझे साथ ले जा रही है| वो मुझे बुला रही है