चीख नहीं किलकारी चाहिये,मुझे सुरक्षित देश की नारी चाहिये, माँ,बहन,दोस्त,प्यार कौन सा नहीं निभाया किरदार, अपनी बहन की रक्षा को हम दुनिया से भिड़ जाते हैं, और किसी की बहनों को छेड़ खुशी मनाते हैं, रक्षाबन्धन भाईदौज पर कसम बहन की खाते हैं, और जरा सी बात पर भी हम गाली बहन की निकालते हैं, जन्म लिया जहाँ से सबने उसे गाली बना इतराते हैं, झूठी शान दिखाने को माँ के पाँव दबाते हैं, सिर्फ वस्त्र हीन होने से ही स्त्री की आबरू नहीं जाती, तुम्हारी हर गाली पर वो लज्जित कर दी जाती है, जब घूरती निगाहें तुम्हारी किसी लड़की को चुभती हैं, उस वक्त समस्त स्त्री अपमानित हो जाती है, लाख मनाओ स्त्री दिवस प्रायोजन सिद्ध नहीं होगा, जब तक तुम्हारी आँखों में स्त्री का सम्मान नहीं होगा।। #अंकित सारस्वत# #स्त्रीदिवस