शहरों में सन्नाटा है प्राकृतिक खिलखिला रही। इंसान बैठे हैं घरों में रिश्तो से मिला रही।। अजब गजब का खेल है कुदरत का कोरोना इठला रही। कब क्या हो जाए इस दुनिया में कुदरत हमें बतला रही।।