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दिल से.......  संजीदगी से किया गया,इश्क़...   हो

दिल से....... 

संजीदगी से किया गया,इश्क़... 

 हो सकता है, कैसे ?बेपरवाह !

 छोड़ सकता है ,कैसे ?

उसका हाथ अपने हाथों से ,

इश्क़ ! हो सकता है।




बेबस ,लाचार  

बेपरवाह नहीं ,

इश्क़ !दर्द देता है ,

नींदें ,उडाता है ,

बेचैन ,करता है।

जलता है ,घुटता है ,

पाना चाहता है। 

अपनी उस मंजिल को !

पता पूछता है।

उस रहनुमा का !

ख्यालों में ,बेचैनियों में ,

ढूढंता है ,उस ख़्याल को !

संजीदगी से ,तराशता है। 

उससे जुड़े ख्यालों को !

पा लेना चाहता है ,

उसके ख्वाबों को !

ज़िंदगी को  जोड़ता है ,

उसके हर ग़म ,ख़ुशी से !

ये बेपरवाही नहीं ,

ये इश्क़ की पराकाष्ठा है।

©Laxmi Tyagi # इश्क़ की पराकाष्ठा 

#Art
दिल से....... 

संजीदगी से किया गया,इश्क़... 

 हो सकता है, कैसे ?बेपरवाह !

 छोड़ सकता है ,कैसे ?

उसका हाथ अपने हाथों से ,

इश्क़ ! हो सकता है।




बेबस ,लाचार  

बेपरवाह नहीं ,

इश्क़ !दर्द देता है ,

नींदें ,उडाता है ,

बेचैन ,करता है।

जलता है ,घुटता है ,

पाना चाहता है। 

अपनी उस मंजिल को !

पता पूछता है।

उस रहनुमा का !

ख्यालों में ,बेचैनियों में ,

ढूढंता है ,उस ख़्याल को !

संजीदगी से ,तराशता है। 

उससे जुड़े ख्यालों को !

पा लेना चाहता है ,

उसके ख्वाबों को !

ज़िंदगी को  जोड़ता है ,

उसके हर ग़म ,ख़ुशी से !

ये बेपरवाही नहीं ,

ये इश्क़ की पराकाष्ठा है।

©Laxmi Tyagi # इश्क़ की पराकाष्ठा 

#Art
laxmityagi1712

Laxmi Tyagi

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