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आदमी कितना मज़बूर है, चारो तरफ से घिरा जैसे गुलाब

आदमी कितना मज़बूर है,
चारो तरफ से घिरा जैसे गुलाब का फूल है।

ये प्रतिफल है कर्मों का,
इस धरा पर मानव ने किए पाप भरपूर हैं।


बेजुबानों को भोजन बनाया और मजलूमों को सताया है।
अनगिनत वृक्षों को काटा यूंँ ही नहीं प्रकृति प्रतिकूल है। आदमी कितना मजबूर है
ज़िन्दगी से बहुत दूर है।
#मजबूरआदमी #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
आदमी कितना मज़बूर है,
चारो तरफ से घिरा जैसे गुलाब का फूल है।

ये प्रतिफल है कर्मों का,
इस धरा पर मानव ने किए पाप भरपूर हैं।


बेजुबानों को भोजन बनाया और मजलूमों को सताया है।
अनगिनत वृक्षों को काटा यूंँ ही नहीं प्रकृति प्रतिकूल है। आदमी कितना मजबूर है
ज़िन्दगी से बहुत दूर है।
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