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तू जिस सुकून की मिन्नत करता है मैं जिंदा मिन्नत दि

तू जिस सुकून की मिन्नत करता है
मैं जिंदा मिन्नत दिखा दूंगा,
कभी आ मेरे घर, मैं जमीन पर,
जन्नत दिखा दूंगा,
प्यार, इकरार , इज्जत ओ ' बहार
दर - ब- दर भटकता है ,तू जिसकी खोज में,
वो हर चीज यूं ही मिल जाती, मेरी मां की गोद में,
या रब!!
मेरी बुराइयों पर अंकुश रख,
बड़े दुख झेले है मेरी मां ने मेरी परवरिश में,
या खुदा!!!
उसे हमेशा खुश रख...।

©Savyasachi 'savya ' #MothersDay #panditsavya
तू जिस सुकून की मिन्नत करता है
मैं जिंदा मिन्नत दिखा दूंगा,
कभी आ मेरे घर, मैं जमीन पर,
जन्नत दिखा दूंगा,
प्यार, इकरार , इज्जत ओ ' बहार
दर - ब- दर भटकता है ,तू जिसकी खोज में,
वो हर चीज यूं ही मिल जाती, मेरी मां की गोद में,
या रब!!
मेरी बुराइयों पर अंकुश रख,
बड़े दुख झेले है मेरी मां ने मेरी परवरिश में,
या खुदा!!!
उसे हमेशा खुश रख...।

©Savyasachi 'savya ' #MothersDay #panditsavya