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सखियां करती फागुन की बातें, ये सखी,कैसे कटें ये तन

सखियां करती फागुन की बातें,
ये सखी,कैसे कटें ये तन्हा रातें,
आ गया बसंत,दुख भए अनंत,
दिन तो बीता प्रियतम की बाट जोहते,
कैसे बीतें बैरन रातें,
यार मिले कोई तलबगार,कसक मिटे मन की,
राग मल्हार फगुआ गाए,प्रीत मिले न यौवन की,
मन मतंग,करता है तंग,फीका सा लागे मोहे लाल रंग,
हे कंत,कर बिरह का अंत,पुलक उठे मोरा अंग अंग,, फागुन का बिरह,
सखियां करती फागुन की बातें,
ये सखी,कैसे कटें ये तन्हा रातें,
आ गया बसंत,दुख भए अनंत,
दिन तो बीता प्रियतम की बाट जोहते,
कैसे बीतें बैरन रातें,
यार मिले कोई तलबगार,कसक मिटे मन की,
राग मल्हार फगुआ गाए,प्रीत मिले न यौवन की,
मन मतंग,करता है तंग,फीका सा लागे मोहे लाल रंग,
हे कंत,कर बिरह का अंत,पुलक उठे मोरा अंग अंग,, फागुन का बिरह,
rajeshrajak4763

Rajesh rajak

New Creator

फागुन का बिरह,