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लब से हम ना कह पाए थे हर बात तुम्हारे आँगन में

लब  से  हम  ना कह  पाए थे हर बात तुम्हारे आँगन में
हल्के  हल्के  टपकी  तो  थी  बरसात  तुम्हारे आँगन में
धड़कन चाहे  चुपचाप  रही  साँसे  भी रहीं चलती यूँ तो
आँखे  भर  भर के  रोये  थे  जज्बात  तुम्हारे  आँगन में

कहने  को  हम  भी  कह देते  उतना ही दोष तुम्हारा है
लेकिन  इतने  अच्छे  ना  थे  हालात  तुम्हारे आँगन  में

मुड़के  जाते  दम  देखा  था तुम  पत्थर से मजबूत लगे
इक नाजुक सा दिल टूट गया उस रात तुम्हारे आँगन में

तेरे  दर  से  हम लौट आये अपने घर अपनी लाश लिए
मेरे  बिन  तुम  भी जिंदा  हो  तेरे  बिन हम भी जिंदा हैं
कसमों वादों की क्या है फिर  औकात तुम्हारे आँगन में

©Gaurav Kumar #copied_post🙏🙏 
#LateNight
लब  से  हम  ना कह  पाए थे हर बात तुम्हारे आँगन में
हल्के  हल्के  टपकी  तो  थी  बरसात  तुम्हारे आँगन में
धड़कन चाहे  चुपचाप  रही  साँसे  भी रहीं चलती यूँ तो
आँखे  भर  भर के  रोये  थे  जज्बात  तुम्हारे  आँगन में

कहने  को  हम  भी  कह देते  उतना ही दोष तुम्हारा है
लेकिन  इतने  अच्छे  ना  थे  हालात  तुम्हारे आँगन  में

मुड़के  जाते  दम  देखा  था तुम  पत्थर से मजबूत लगे
इक नाजुक सा दिल टूट गया उस रात तुम्हारे आँगन में

तेरे  दर  से  हम लौट आये अपने घर अपनी लाश लिए
मेरे  बिन  तुम  भी जिंदा  हो  तेरे  बिन हम भी जिंदा हैं
कसमों वादों की क्या है फिर  औकात तुम्हारे आँगन में

©Gaurav Kumar #copied_post🙏🙏 
#LateNight
gauravkumar6748

Gaurav Kumar

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