तुम पर जमाने के धरे हुये इल्जाम को भूल जाता हूँ, कभी कभी तो मैं अपने नाम को भूल जाता हूँ। यूँ तो सब किस्से कहानियाँ मुँह जुबानी याद रखता हूँ। मगर जो बात कहनी है सुबह, उसे शाम को भूल जाता हूँ। सुख़न से यारो अपना कुछ ऐसा नाता है कि मैं, मीर, ग़ालिब, जौन को पढ़ते पढ़ते आराम को भूल जाता हूँ #NojotoQuote tum par zamane ke