करता हूँ आह्वान तुझे माँ, तू सर्वजगत की अधिष्ठात्री है। चर-अचर सारे हैं तेरे, तीनों लोक की तू मातृ है। नहीं मंत्र नहीं पूजन सामाग्री, भाव-शैली बस मेरे है। तेरा तुझको क्या अर्पण करु? स्नेह-भक्ति बस मेरे है। मैं अज्ञान निपट अनाड़ी, तू माता है तारणहारी। दुःखियों की तू दुःख ही हर ले, मेरी अंगुली बस तू धर ले। दे आशिष डीगू न पथ से, क्षण-क्षण कर्तव्य निभाऊं मैं। गर चर्चा कभी हो मेरी भी, स्वचरित्र से ही जाना जाऊं मैं। है अभिलाषा बस इतनी माँ, तेरी दी भूमिक अदा कर जाऊं। बना मुझे इतना सक्षम माँ तू, अपना चरित्र चरितार्थ कर पाऊं। #माँ #maa #devotion #duty #shubhobijoya #dussehra #pray #shatyagashi