दिल की तड़प, ना मिटाये मेरी कोई, ख़्वाहिश है मेरी अपार, पर ना समझे कोई, चाहत है मेरी अधूरी, लेकिन पूरी करें कौन। रिश्तो में जुड़ने के बाद ही, दिल की व्याकुलता, हमेंशा बढ़ ही जाती है, एक अजीब सी बैचैनी रहेती है ज़हन मे, उसके पास जाने की और उसको पाने की, दिल हमेंशा चाहता है उसका साथ, उसकी गुफ़्तगू, उसका अपनापन, उसके ज़ज्बात, और उसका प्यार। दिल को हमेंशा तड़पाती है तू, क्युकी अब तुम ज़रूरत नहीं, ब्लकि आदत बन गई हो तुम। -Nitesh Prajapati ♥️ Challenge-768 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।