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कितनी भी कडाके क़ी ठण्ड पढ़ रही हो तो भी फटेहाल चिद्

कितनी भी कडाके क़ी ठण्ड
पढ़ रही हो
तो भी फटेहाल चिद्रित
रज़ाई  मे ठण्ड से थोड़ी. राहत तो
मिल ही जाती है.

कितनी ही गहरी प्यास हो पानी क़ी
तो भी अपने अधरों पर..
जुबां फेर लेने से  तृप्ती के लिए.
थोड़ी देर  के लिए ही सही राहत तो  मिल ही जाती है

©Arora PR
  राहत
arorapr7519

Arora PR

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राहत #कविता

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